तड़प

कैसी कशिश है कैसी खामोशी
पागल मनवा क्षणिक उदासी
रुकी थमी सी गहरी बेहोशी
कांच के टुकड़ों की झिलमिल सी
बिखरी कण-कण में तरंग निराली
इक भीतर से उठती जलती
आग तप्ती लहलहाती सी
घुटन ऐसी चिल्लाती सी
अंदर से बाहर खिंचती चलती
पल पल सिम्टी बिखरी सी
सांसें रुकती सहमी सी
कुछ कहती नी कुछ कह नहीं पाती ।

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