यादें अजब सी
वो शक्ति की रातें वो गंगा के कहकहे वो टहलते हुए झील के किनारे किनारे वो गुरुकुल की घंटी से आत्मा का जगना वो नंगे पाँव मंटप से राधा कुंज तक आना वो गुरुकुल से आगे शक्ति की रेखा पर रुकना वो दस कदम तेरा चल के यूँ मुङना वो इशारों इशारों में पास बुलाना वो दबे पाँव मेरा तेरी ओर खिचै आना वो सपना पुराना फिर से दोहराना वो ख्वाबो को मेरे नए पंख लगाना वो हँसना हँसाना लिखना पढ़ाना वो गलती निकाल डांटना धमकाना वो बारिश का पानी वो संनाटे का गाना वो पलों का स्पंदन आनंद की घडियां वो गुमसुम सी चाहत से चांदनी का छू जाना वो अखियां लङाना रूठना मनाना वो मुहब्बत के पलछिन करारों का जगना वो तप तप तपाना तङपा के अपनाना वो अंखियों अंखियों में गोलियां चलाना वो मरते-मरते घायल फिर से हो जाना वो प्रेम से तेरा चुप होकर बंद आंख फिर उठाना वो इश्क की बातें वो मंज़र पुराना नी भूल ना जाना वो भूल ना जाना वो अचानक कार रोक पास बिठाना वो हाथीशाला का फेरा बिन कहे कह जाना वो गुज़रा ज़माना फिर याद दिलाना वो पल सिम्टे से भूल ना जाना फिर दोहराना वो कभी फिर से दोहराना ।।।। 🙏🙏🙏